अश्विनी कुमार







सिर्फ ख्वावों में कब तक,
यूँ ही ....
होते रहोगे रूबरू;
जरा हकीकत में भी
मेरी जिंदगी में
भर दो अपनी खुशबु .
खुशबू ऐसी भरो कि
अंतर्मन की गहराइयों में समाये;
समाये कुछ ऐसे कि,
मेरे दिल के तार
तेरे सुर पर झंकृत हो जाये.

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