Home
Connect
Google+
Twitter
Facebook
Contact
हृदय-कलश
अश्विनी कुमार
मुख पृष्ठ
»
हाल-ए-दिल
हाल-ए-दिल
अश्विनी कुमार
हाल-ए-दिल तुझको सुनाऊ कैसे ?
मुझे तुझसे मुहब्बत है, बताऊ कैसे ?
NEXT
HOME
Popular Post
सिर्फ ख्वावों में कब तक, यूँ ही .... होते रहोगे रूबरू; जरा हकीकत में भी मेरी जिंदगी में भर दो अपनी खुशबु .
सिर्फ ख्वावों में कब तक, यूँ ही .... होते रहोगे रूबरू; जरा हकी कत में भी मेरी जिं दगी में भर दो अपनी खुशबु . खुशबू ऐसी भ रो कि अंतर्मन...
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये, किस्मत अब अपनी भी आज संवर जाये। वफ़ा प्रेम में तुम भी खूब निभाने को हो, अरसा बाद मिले हो और तुम ...
अंतर-मंथन
शोक क्षणिक है, साथी मेरे! हिय छोटा तुम मत करना; अंतर-घट के राज अगिनत, हिय न उलझन रत करना। पथ ही बनती पहचान हमारी, फिर पथ से कल...
आँखों वाले
झील सी गहरी इन आँखों में मुझे समा ले आँखों वाले, या फिर मेरे अश्रु-जल से झील बना ले आँखों वाले। मेरे इन आँखों ने अब तक...
कि वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने..........
यूँ न निकलो रात की चांदनी में नहाने, वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने । चाँद का ये बुलावा कुछ नहीं है छलावा लौट जाओ अभी क...
हाल-ए-दिल
हाल-ए-दिल तुझको सुनाऊ कैसे ? मुझे तुझसे मुहब्बत है, बताऊ कैसे ?
उम्मीद
थी याराना की तमन्ना और उल्फत की उम्मीद, पर वक़्त से शिकवा है जो न हुआ मुफीद । इन्सान आरजू में कब तलक जिन्दा रहे, रहम-ए- खुदा मिले...
Follow @_ashwini_
Series
आरजू
(1)
उम्मीद
(1)
Powered by
Blogger
.
- Copyright © 2013 हृदय-कलश -
Metrominimalist
- Powered by
Blogger
- Designed by
Johanes Djogan
-