अश्विनी कुमार










यूँ न निकलो रात की चांदनी में नहाने, 
 वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने ।


चाँद का ये बुलावा
कुछ नहीं है छलावा

लौट जाओ अभी कर के कोई बहाने,
की वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने।


कुछ अलग रात है

राज की बात है


राज की बात को कोई किसे जाने,
की वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने ।

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