सिर्फ ख्वावों में कब तक, यूँ ही .... होते रहोगे रूबरू; जरा हकीकत में भी मेरी जिंदगी में भर दो अपनी खुशबु .
सिर्फ ख्वावों में कब तक,
यूँ ही ....
होते रहोगे रूबरू;
जरा हकीकत में भी
मेरी जिंदगी में
भर दो अपनी खुशबु .
खुशबू ऐसी भरो कि
अंतर्मन की गहराइयों में समाये;
समाये कुछ ऐसे कि,
मेरे दिल के तार
तेरे सुर पर झंकृत हो जाये.
अश्विनी कुमार
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये,
किस्मत अब अपनी भी आज संवर जाये।
वफ़ा प्रेम में तुम भी
खूब निभाने को हो,
अरसा बाद मिले हो
और तुम जाने को हो।
मिलन कि भींगी रात जरा कुछ कर जाये.
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये।
तुम बिन कैसे रात
कटी है, क्या बतलाऊ;
दिल में कितनी बात
दबी है, क्या बतलाऊ;
दिल का प्यार जरा आँखों में भर आये.
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये.
खूब निभाने को हो,
अरसा बाद मिले हो
और तुम जाने को हो।
मिलन कि भींगी रात जरा कुछ कर जाये.
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये।
तुम बिन कैसे रात
कटी है, क्या बतलाऊ;
दिल में कितनी बात
दबी है, क्या बतलाऊ;
दिल का प्यार जरा आँखों में भर आये.
रुक जाओ कि पल में रात गुजर जाये.
अश्विनी कुमार
आँखों वाले
झील सी गहरी इन आँखों में
मुझे समा ले आँखों वाले,
या फिर मेरे अश्रु-जल से
झील बना ले आँखों वाले।
मेरे इन आँखों ने अब तक
जिन आँखों के स्वप्न सजाये,
सम्मुख पा इन आंखों को
उचित नहीं वो झुक जाए।
पलक उठा अपनी आँखों में
मुझे समा ले आँखों वाले,
या फिर मेरे अश्रु-जल से
झील बना ले आँखों वाले।
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अश्विनी कुमार
कि वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने..........
यूँ न निकलो रात की चांदनी में नहाने,
वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने ।
चाँद का ये बुलावा
कुछ नहीं है छलावा
लौट जाओ अभी कर के कोई बहाने,
की वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने।
कुछ अलग रात है
राज की बात है
राज की बात को कोई किसे जाने,
की वो आई चांदनी तेरा नूर चुराने ।
अश्विनी कुमार